इंतजार कितना करू
अब तू ही बता दे
जीऊ या मरु
में क्या करू
तू ही समझा दे
तेरी वो बाते याद आये यू जैसे
की बिन मौसम बादल बारिश बरसा दे
तेरी हँसी की यादे मुझे रुलादे
कोई फतवा पड़े मेरे लिए
मेरी मोहब्बत के किस्से को मिटादे
इस दर्द से छुटकारा दिला दे
शराब से क्या होगा जहर की बोतल ही पीलादे
फिर भी ना मरु तो जिंदा जला जला दे
मेरी राख को भी किसे नाले में बहा दे
इतनी सजा मोहब्बत में मुझे बहुत है
अब खत्म हुआ
इंतजार तेरा
अब कब्र से भी ना आये आवाज
मिट्टी में खत्म हुआ संसार मेरा
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