आमाशय के कार्य
अमाशय में लगातार क्रमाकुंचन के कारण भोजन पिसता हैं। साथ ही जठर ग्रंथियों से निकला जठर रस भी इसमें मिलता है। जठर रस में नमक के अम्ल या हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCL) के अतिरिक्त प्रोपेप्सिन तथा प्रोरेनिन नामक प्रोएंजाइम्स होते हैं।
चित्र – मनुष्य का आमाशय
- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल अम्लीय माध्यम तैयार करता है जो इन प्रोएंजाइम्स को क्रियाशील बनाता है तथा भोजन को सड़ने से बचाता है
- यह भोजन के साथ आये बैक्टीरिया को नष्ट करता है प्रोपेप्सिन अम्ल के साथ मिलकर पेप्सिन में बदल जाता है और भोजन के प्रोटीन पर क्रिया करता है प्रोरेनिन भी रेनिन में बदलकर दूध को फाड़कर उनके प्रोटींस को अलग करता है प्रोटींस पेप्सिन के प्रभाव से पेप्टोन्स में बदल जाते हैं जठर ग्रंथियां श्लेष्मा का अभी श्त्रावण करती हैं सामान्य परिस्थितियों में स्लेष्मा आमाशय के आंतरिक अस्तर की अम्ल से रक्षा करता है
- उपर्युक्त प्रक्रियाओं के कारण भोजन पूरे रंग की लेई के रूप में बदल जाता है इसे काइम (Chyme) कहते हैं। यह ग्रहणी में पहुंचता है
आमाशय में पाया जाने वाला HCl निम्न कार्य करता है
- भोजन में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है।
- कठोर ऊतकों को घोलता है।
- निष्क्रिय एन्जाइम पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलना तथा निष्क्रिय प्रोरेरिन को सक्रिय रेनिन में बदलना।
- टायलिन की क्रिया को बन्द करना।
- मुखगुहा से आये भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाना एवं जठर निर्गम कपाट को नियंत्रण करना।