मानव शरीर की सबसे छोटी ग्रंथि
पिट्यूटरी ग्रंथि या हाइपोफिसिस एक छोटी ग्रंथि है। जिसका व्यास लगभग 1 सेंटीमीटर या मटर के आकार का है। यह लगभग हड्डी से घिरा हुआ है, क्योंकि यह टरिका में टिकी हुई है, स्पेनोइड हड्डी में एक अवसाद है ग्रंथी मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस से जुड़ी होती है, जिसे एक पतले डंठल से इंफंडीबुलम कहा जाता है.
मनुष्य के शरीर की सबसे छोटी ग्रंथि पिट्यूटरी ग्रंथि होती है जिसे मास्टर ग्रंथि या पीयूष ग्रंथि भी कहते हैं यह ग्रंथि मस्तिष्क के निचले हिस्से में पाई जाती है जो कोशिकाओं की वृद्धि का नियंत्रण करता है, थायराइड ग्रन्थि के स्राव का नियंत्रण करता है, एड्रीनल ग्रन्थि के प्रान्तस्थ भाग के स्राव का नियंत्रण करता है।
पीयूष ग्रन्थि या पिट्यूटरी ग्लैंड नर के वृषण में शुक्राणु जनन एवं मादा के अण्डाशय में फॉलिकल की वृद्धि का नियंत्रण करता है। शरीर में जल संतुलन अर्थात वृक्क द्वारा मूत्र की मात्रा का नियंत्रण करता है।

जीवों के शरीर में विशेषतया दो प्रकार की ग्रन्थि होती हैं। एक एक वे जिनमें स्त्राव बनकर वाहिनी द्वारा बाहर आ जाता है बहिःस्रावी ग्रंथि कहलाती है और दूसरी वे जिनमें बना स्राव बाहर न आकर वहीं से सीधा रक्त में चला जाता है अंतःस्रावी ग्रंथियाँ कहलाती है।
शरीर में सबसे अधिक संख्या लसिका ग्रंथियों की है। वे असंख्य हैं और लसीका वाहिनियों (Lymphatics) पर सर्वत्र जहाँ-तहाँ स्थित हैं।
यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि कहलाती है। प्लीहा, अग्न्याशय, अंडग्रंथि, डिंबग्रंथि, इन सबकी ग्रंथियों में ही गणना की जाती है